हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत/hygiene varg ke anishchitta siddhant ko samjhaie
हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत को समझाइए
उत्तर - एकविमीय बॉक्स में बन्द कण की क्वाण्टीकृत ऊर्जा अवस्थाएँ उत्तर- स्थूल स्तर पर किसी कण की स्थिति व संवेग यथार्थता से नापा जा सकता है किन्तु सूक्ष्म स्तर पर किसी कण की स्थिति व संवेग एक साथ यथार्थता से नहीं नापा जा सकता। सूक्ष्म कणों को तरंग पैकेट द्वारा दर्शाया जाता है। कण की स्थिति तरंग पैकेट में कहीं भी हो सकती है। अतः स्थिति अनिश्चित है और कण का वेग तरंग पैकेट का वेग अर्थात् समूह वेग होता है। अतः वह भी निश्चित है। अतः कण की स्थिति व संवेग अनिश्चित होते हैं। हाइजेनबर्ग ने दो तरंगों के अध्यारोपण से गणितीय रूप से सिद्ध किया कि स्थिति व संवेग में अनिश्चितताओं का गुणनफल की कोटि का होता है।
∆x.∆p = h/2π
∆x.∆p = h.
व्यापक रूप में किन्हीं भी दो संयुग्मी राशियों में अनिश्चितताओं का गुणनफल की कोटि का होता है।
(i) ऊर्जा व समय के लिये - किसी भी कण की ऊर्जा और समय के मापन में अनिश्चि का गुणनफल की कोटी का होता है।
∆E.∆t = h
(ii) किसी कण के कोणीय संवेग के मापन में अनिश्चितता यदि ∆J हो व कण की कोण स्थिति के मापन में अनिश्चितता यदि ∆ϕ , हो, तो
∆J∆ϕ = h